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Sumit panwar

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Wednesday, October 19, 2005

श्री रबिन्द्रनाथ टैगोर की कविताएँ



On 9/21/05, Pradeep Makineni <makineni.pradeep@gmail.com> wrote:
नहीं माँगता प्रभु विपत्ति से मुझे बचाओ त्राण करो,
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं इतना हे भगवान करो ।
नहों माँगता दुख हटाओ, व्यथित ह्रदय का ताप मिटाओ,
दुखों को मैं आप जीत लूँ ऐसी शक्ति प्रदान करो
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं इतना हे भगवान करो ।
कोई जब ना मदद को आए मेरी हिम्मत टूट ना जाए
जग जब धोखे पे धोखा दे और चोट पर चोट लगाए
अपने मन में हार न मानूँ ऐसा नाथ विधान करो ।
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं इतना हे भगवान करो ।
नहीं माँगता हूँ प्रभु मेरी जीवन नैय्या पार करो
पार उतर जाऊँ अपने बल इतना हे करतार करो ।
नहीं माँगता हाथ बटाओ मेरे सिर का बोझ घटाओ
आप बोझ अपना सँभाल लूँ ऐसा बल सँचार करो ।
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं इतना हे करतार करो ।
सुख के दिन मैं शीश नवा कर तुम को आराधूँ करूणाकर,
और विपत्ति के अंधकार में जगत हँसे जब मुझे रुला कर
तुम पर करने लगूँ न संशय यह विनति स्वीकार करो,
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं इतना हे करतार करो ।




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From
Makineni Pradeep
(MTech CSE)
National Institute of Technology, Suratkal.

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